Aeroplane Tyre -हवाई जहाज के टायर क्यों नहीं फटते हैं PDF Download का लिंक सबसे नीचे दिया है–

हवाई जहाज हजारों टन के वजन के साथ जमीन पर लैंड करते हैं। फिर भी हवाई जहाज के टायर नहीं फटते हैं 

आप सभी इस बात से अच्छी तरह से अवगत हैं अब बात पहले जैसी नहीं रही समय बदल रहा है समय के साथ – साथ सब चीजों में बदलाव आया है प्रतिदिन कुछ न कुछ परिवर्तन देखने को मिलते हैं और नई नई तकनीकें देखने को मिल रही हैं। पहले लोगों को यात्रा करने में 1-2 महीने लग जाते थे। लेकिन अब कितनी भी दूर की यात्रा हो अब कुछ ही घंटों में दूरी तय कर ली जाती है हम हवाई जहाज से कुछ ही घंटों में यह यात्रा पूरी कर लेते हैं।  

प्लेन से यात्रा करने के दौरान अक्सर एक बात आपके मन मस्तिष्क में आई होगी कि आख़िर ऐसी क्या चीज है इस प्लेन में जो यह इतनी तेजी से और हजारों टन का वजन लेकर बहुत आसानी से लैंड कर जाता है और इसके टायर भी नहीं फटते।अब आप ये सोचेंगे कि टायर के hard material के कारण लेकिन यह सच नहीं है। इसका कारण टायर का मटेरियल नहीं कुछ ओर ही है प्लेन के टायर को साधारणतया 38 टन मतलब 10 हाथिओं के वजन के बराबर वजन झेलने के लिए डिजाइन किया जाता है इसके अलावा प्लेन लैंड करते समय 200 km/h से लेकर 300 km/h जमीन को छूती है और इसकी रफ्तार इतनी होती है कि इतने में नार्मल टायर के टुकड़े – टुकड़े हो जाते हैं कम से कम 500 लैंडिंग होने के बाद टायर को बदलने का प्रोटोकॉल होता है क्योंकि प्लेन का निर्माण करने वाले सेफ्टी में लूक होल के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते।

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प्रत्येक प्लेन में उसके वजन के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में टायर लगे होते हैं जो किसी टायर के brust होने की स्थिति में मेकअप कर सके। एयर क्राफ्ट का टायर रबर, कॉर्ड, स्टील और नायलॉन की कई परतों से मिलकर बना होता है। इन सब से मिलकर इसे एक मजबूत ढांचा (structure) दिया जाता है लेकिन इतना भी नहीं कि लैंडिंग, टेकऑफ, इमरजेंसी के दौरान पैदा फिक्सन और टेंपरेचर चेंज को निर्वाह(sustance) कर सके।

इसे यह शक्ति मिलती है उसके अंदर भरे जाने वाली गैस से एयरक्राफ्ट के टायर में अत्यधिक दवाब (highly pressurised) नाइट्रोजन गैस भरी होती है इसका दवाब (pressure) 200 PSI होता है जो उसी साइज़ के आम ट्रक के टायर के मुकाबले पाँच गुना ज्यादा होता है और इस दवाब के कारण इतना वजन वाला एयरक्राफ्ट आसानी से लैंड हो जाता है आपको बता दें तापमान के बढ़ने से हर चीज फैलती है और यह फैलाव गैसों मे सबसे अधिक होता है।

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लैंडिंग के दौरान घर्षण से टायर में बहुत अधिक गर्मी पैदा होती है और इस गर्मी के कारण आम गैस टायर को फाड़ कर बाहर निकल जाती है लेकिन नाइट्रोजन गैस के साथ यह नहीं होता है क्योंकि नाइट्रोजन पर बाहरी तापमान का बहुत कम असर पड़ता है लेकिन टायर में भरी जाने वाली गैस और हाई प्रेशर को निर्वाह (sustance) करने के लिए टायर के मटीरियल के साथ – साथ एक और बहुत बड़ी वजह होती है सेफ लेंडिंग की और वह है पायलट की लैंडिंग तकनीक। 

प्लेन के एक टायर में 38 टन वजन संभालने की क्षमता होती है प्लेन का टायर बहुत ही मजबूती से बनाया जाता है इस टायर की मजबूती के कारण लगभग 500 बार तक की लेंडिंग और टेकऑफ आसानी से हो जाता है।

 प्लेन के टायर ( Aeroplane Tyre )पर ग्रिप चढ़ाया जाता हैप्लेन के टायर इसलिए इतने मजबूत होते हैं क्योंकि इन पर ग्रिप चढ़ाया जाता है जिससे इनका उपयोग अधिक से अधिक किया जाये। प्लेन के 1 टायर में 7 बार ग्रिप चढ़ाया जा सकता है अगर देखा जाए तो एक टायर से 3500 बार तक लैंडिंग और टेकऑफ हो सकता है बाद में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

प्लेन के टायरों में नाइट्रोजन गैस भरी जाती है प्लेन के टायरों (Aeroplane Tyre) में ट्रक के टायरों की अपेक्षा पाँच गुना अधिक हवा भरी जाती है मतलब 200 PSI की मात्रा में हवा का प्रेशर भी दिया जाता है नाइट्रोजन गैस की वजह से ही प्लेन के टायर (Aeroplane Tyre) पर तापमान और प्रेशर कम हो जाता है।

प्लेन के टायर (Aeroplane Tyre) बहुत ही खास होते हैंप्लेन गीले रनवे पर बिना परेशानी के आराम से उतर सकते हैं क्योंकि इनके टायरों में ग्रूव डिजाइन लगा होता है प्लेन के टायर कार्ड रबड़ स्टील और नायलॉन की परतों से मिलकर बने होते हैं देखा जाए तो हमारे  और जमीन के बीच 45 इंच तक रबड़ होता है। 

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Aeroplane Tyre -हवाई जहाज के टायर क्यों नहीं फटते हैं?