बिग बैंग थ्योरी (big bang theory) क्या है? पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित सर्वमान्य सिद्धांत कौन सा है?

इस विषय की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल है कि ब्रह्मांड कितना बड़ा हो सकता है. पहले वैज्ञानिक का यह मानना था कि क्या ब्रह्मांड हमेशा से ही ऐसा रहा होगा. लेकिन संभवत: ऐसा बिल्कुल ब्रह्मांड के जन्म का सिद्धांत (theory of the birth of the universe) 

ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक महाविस्फोट के कारण हुई है. करीबन बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में अति-संघनित (compressed) था। उस समय, समय व स्थान जैसी कोई भी चीज अस्तित्व में ही नहीं थी।

करीबन १३.७ अरब वर्ष पूर्व इस महाविस्फोट से अत्यधिक ऊर्जा(energy) का उत्सजर्न(release) हुआ और हर 10-24 सेकंड से यह धमाका दोगुना बड़ा होता चला गया। इस महाविस्फोट की ऊर्जा इतनी ज्यादा थी कि उस ऊर्जा के प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है।

इस महाविस्फोट के 3 लाख वर्ष बाद पूरा ब्रह्मांड हीलियम और हाइड्रोजन गैस के बादलों से पूरी तरह से भर गया था। इस महाविस्फोट के 3 लाख 80 हज़ार वर्ष बाद अंतरिक्ष में सिर्फ फोटोन (photon) ही रह गये। इन फोटोन से ही तारों और आकाशगंगाओं (galaxies) की उत्पत्ति हुई है , और इसके बाद में जाकर ग्रहों और हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ. यही महाविस्फोट यानी बिग-बैंग का सिद्धांत (big bang theory) है।

महाविस्फोट सिद्धान्त का प्रतिपादन (propounding of the big bang theory) 

आधुनिक भौतिक-शास्त्री जार्ज लेमैत्रे (Georges Lemaître) ने सन 1927 में सृष्टि की रचना के विषय में महाविस्फोट सिद्धान्त अर्थात बिग-बैंग थ्योरी का प्रतिपादन किया. इस सिद्धांत के द्वारा ही उन्होंने यह दावा किया कि ब्रह्मांड सर्वप्रथम एक बहुत विशाल और भारी गोला था जिसमें एक समय के पश्चात बहुत जबरदस्त धमाका हुआ BIG BANG THEORY

और इस धमाके से होने वाले कई तरह के अनगिनत टुकड़ों ने अंतरिक्ष में जाकर धीरे – धीरे तारों और ग्रहों का रूप धारण कर लिया है उनका यह प्रमुख सिद्धान्त अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत ( theory of general relativism) पर ही आधारित था. लेकिन उस समय इस सिद्धान्त (Theory) को कई आलोचकों के द्वारा इसे बिल्कुल ही अनसुना कर दिया गया था। 

सन 1929 में एडविन ह्ब्बल(Edwin Hubble) ने लाल विचलन (Red Shift) के सिद्धांत के आधार पर यह पाया कि ब्रह्मांड बहुत फैल रहा है और ब्रह्मांड की आकाशगंगायें (galaxies) बहुत तेजी से एक – दूसरे से बहुत दूर – दूर जा रही हैं। इस सिद्धांत (Theory) के अनुसार, पूर्व में आकाशगंगाये एक दूसरे के पास – पास रही होंगी और इससे भी पूर्व में यह एक – दूसरे के बहुत अधिक पास रही होंगी।

यह जो प्रमुख सिद्धांत था वह आईन्स्टाईन के अनंत और स्थैतिक ब्रह्मांड के बिल्कुल विपरीत था. निरीक्षण से यह निष्कर्ष निकला कि ब्रह्मांड ने एक ऐसी स्थिति से जन्म लिया है जिसमें ब्रह्मांड का सारा पदार्थ अत्यंत उच्च तापमान और घनत्व पर एक ही स्थान पर केन्द्रित था। इस प्रकार की सारी स्थिति को ही गुरुत्विक अपूर्वता (Gravitational Singularity) कहा गया है। BIG BANG THEORY
 
दूसरी संभावना थी, फ़्रेड होयेल का स्थायी स्थिति मॉडल (Fred Hoyle’s steady state model), जिसमें दूर होती हुयी आकाशगंगाओं के बीच में हमेशा नये तरह के पदार्थों की उत्पत्ति का प्रतिपादन था। सामान्य तौर पर अगर दूसरे शब्दों में यह कहा जाए कि आकाशगंगाओं (galaxies) के एक – दूसरे से दूर जाने पर जो एक खाली सा स्थान बनता है वहां पर कई नये – नये व भिन्न तरह के पदार्थों का निर्माण होता रहा है।

इस तरह की संभावना के अनुसार ही मोटे तौर पर ब्रह्मांड हमेशा से एक ही तरह का रहा है और ऐसा ही रहेगा। होयेल ही वह ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होने लेमैत्रे के महाविस्फोट सिद्धांत (big bang theory) का बहुत मजाक उड़ाते हुये इसे “बिग बैंग आईडीया” (Big Bang Idea)  का नाम दिया था।

काफी लंबे समय तक वैज्ञानिक इन दोनों सिद्धांतों के बीच विभाजित रहे। लेकिन समय के साथ – साथ वैज्ञानिक प्रयोगों और निरीक्षणों से महाविस्फोट के इस सिद्धांत को बल मिलता गया। 1965 के बाद ब्रह्मांडीय सूक्ष्म तरंग विकिरण (Cosmic Microwave Radiation) की खोज के बाद इस सिद्धांत को सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत का दर्जा मिल गया। वर्तमान में खगोल विज्ञान का प्रत्येक नियम इसी सिद्धांत पर आधारित है और इसी सिद्धांत का विस्तार है।

पृथ्वी की उत्पत्ति (origin of earth)

पृथ्वी की उत्पत्ति के दो धारणाएं हैं

धार्मिक संकल्पनाएं औरवैज्ञानिक संकल्पनाएंवैज्ञानिक संकल्पनाओं (scientific concepts) को भी मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है

द्वेतवाद संकल्पना तथाअद्वैतवादी संकल्पनाद्वैतवादी संकल्पनाइन सभी विचारधाराओं में यह माना गया है कि इस संपूर्ण सौर मंडल की उत्पत्ति केवल एक ही इकाई से हुई है इसके अंतर्गत मुख्य रूप से दो विचारधाराओं को रखा गया है| BIG BANG THEORY

कांट की वायव्य राशि परिकल्पनालाप्लास की निहारिका परिकल्पनाकांट की वायव्य राशि परिकल्पना
यह परिकल्पना न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम (Newton’s Gravity) पर आधारित है कांत का यह मानना है कि इस ब्रह्मांड में ईश्वर द्वारा निर्मित पदार्थ बिखरे पड़े थे जो अत्यधिक कठोर एवं स्थिर पड़े थे कलांतर में आपसी आकर्षण के कारण इसमें बहुत अधिक गति उत्पन्न हुई एवं ताप उत्पन्न होने लगा|

Israel iron dome Full Details – इजराइल आयरन डोम 

BLACK HOLE KYA HOTA HAI- कृष्ण विवर क्या होता है?

टक्कर और ताप अधिक बढ़ने से इसमें एक गति उत्पन्न हुई एवं भ्रमण गति के बढ़ने के कारण अपकेंद्रीय बल ( Centrifugal force )बहुत अधिक बढ़ने लगा जिससे निहारिका के मध्य भाग में बहुत अधिक भार उत्पन्न हुआ और पदार्थ का एक छल्ला बाहर की ओर निकल गया इस प्रकार क्रमशः 9 छल्ले बाहर निकले जो क्रमशः ठंडे होकर गये और ग्रहों मैं परिवर्तित हो गया|

लाप्लास की निहारिका परिकल्पना (Laplace’s Nebula Hypothesis)

कांट के बाद अब वायव्य राशि परिकल्पना के दोषों को संशोधित करते हुए लाप्लास ने अपनी निहारिका परिकल्पना को प्रस्तुत किया इस परिकल्पना में उन्होंने ब्रह्मांड (universe) को पूर्व से ही एक तप्त और गतिशील निहारिका मौजूद माना जिसमें समय के साथ – साथ तापमान में भी बहुत कमी आ गई थी और वह लगातार सिकुड़ती ही जा रही थी लाप्लास (Laplace) के अनुसार निहारिका में से एक ही तरह का छल्ला बाहर की ओर निकला जो कई तरह के नो छल्लों में विभाजित हो गया और फिर उन 9 छल्लों का निर्माण हुआ , ग्रहों के उपग्रहों का निर्माण भी इसी प्रकार से हुआ| BIG BANG THEORY

द्वैतवादी संकल्पनापृथ्वी के जन्म (उत्पत्ति)के विषय से संबंधित द्वैतवादी संकल्पना (dualistic concept) में दो ब्रह्मांड (universe) की सबसे प्रमुख इकाइयों (major units) को भी स्वीकार किया गया है|

महत्वपूर्ण द्वैतवाद संकल्पनाएं निम्न है:-

चेंबरलेन की ग्राहानु परिकल्पनाजेम्स जॉन ज्वारीय परिकल्पनाचेंबरलेन की ग्राहानु परिकल्पना
चेंबरलेन (chamberlain) ने अपने ग्रहणों परिकल्पना (eclipse hypothesis) में यह माना है ग्रहों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण यह है कि ग्रहों की उत्पत्ति दो बड़े – बड़े तारों से टूटकर हुई है जिनमें एक सूर्य व दूसरा साथी विशालकाय तारा था

ब्रह्मांड में घूमने- घूमते हुए जब विशालकाय साथी तारा जब सूर्य के काफी नजदीक पहुंचा तो गुरुत्व के प्रभाव से सूर्य से कई तरह के असंग छोटे-छोटे कण बाहर आकर बिल्कुल अलग हो गए जिन्हें ग्राहानु कहा गया है इनमें से जो बड़े ग्राहानु थे वह छोटे ग्राहानु के लिए केंद्र का कार्य किए जिनके एकत्रित होने से ग्रहों का निर्माण हुआ|

जेम्स जॉन की ज्वारीय परिकल्पना (James John’s tidal hypothesis)

ज्वारीय परिकल्पना में यह माना गया है कि सूर्य और उसका  प्रमुख साथी तारा ब्रह्मांड में पहले ही मौजूद था एवं एक गैस का बड़ा गोला था एवं अपनी जगह पर ही स्थिर था साथ ही तारे के पास आने के कारण ही 
उसकी ज्वारीय शक्ति प्रभाव से सूर्य से एक फिलामेंट टूटकर अलग हो गया जो कालांतर में ठंडा होकर विभिन्न टुकड़ों में विभक्त हो गया और यह विभिन्न तरह के टुकड़े ग्रह कहलाए|

पृथ्वी की उत्पत्ति के आधुनिक सिद्धांत (modern theories of the origin of the earth)

बिग बैंग थ्योरी

बिग बैंग सिद्धांत (big bang theory) का प्रतिपादन 1960-70 के दशक में बेल्जियम (Belgium) के खगोल शास्त्री जज लैवेंडर द्वारा किया गया था| इस सिद्धांत के अनुसार आज से लगभग 13.7 लाख अरब वर्ष पूर्व भारी पदार्थ से निर्मित एक छोटा अति गर्म पिंड था |जिस में अचानक विस्फोट हुआ| जिसे बिग बैंग कहा जाता है| यह एकाकी परमाणु अत्याधिक छोटा आयाम वाला एवं अनंत घनत्व वाला था|

इस विस्फोट से सामान्य पदार्थ का निर्माण हुआ इस समान पदार्थ का चारों ओर बिखरने से काले पदार्थ {Black Hole} बनते गये | काले पदार्थ के चारों तरफ समान पदार्थ के एकत्रित होने से आकार में निरन्तर वृद्धि हुई जिस आकाश गंगा का निर्माण हुआ। इन आकाशगंगाओं को विस्फोट के परिणाम स्वरुप अन्य कई तरह के ग्रहों का निर्माण हुआ| BIG BANG THEORY