Devbhumi UK देवभूमि उत्तराखंड PDF Download का लिंक सबसे नीचे दिया है–

हिमालय के ऊंचे – ऊँचे शिखर, नदियाँ, झरने, सर्प आकार सड़के, घने देवदार, चीड़, बाँज, बुराँस के जँगल, फूलों की घाटी, मनलुभावन झील का किनारा और हर पहाड़ पर किसी भगवान का मंदिर, अभी तक हमने आपको ये जो विशेषता बतायी है यह विशेषता है भारत के उत्तर में स्थित पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की जो पहले उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था दून वैली में बसे इस खूबसूरत शहर की राजधानी है देहरादून जो चारों ओर से लाजवाब प्राकृतिक दृश्यों से घिरा हुआ है भौगोलिक तौर पर उत्तराखंड मुख्यतः तीन भागों में बंटा है। 
1 – गढ़वाल मंडल
2 – कुमाऊं मंडल 
3 – गैरसैंण मंडल

उत्तराखंड (Devbhumi UK) राज्य में गजब की खूबसूरती है यह राज्य अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, ग्लेशियर, घने जंगल व बर्फ से ढकी चोटियों के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड को देवों की भूमि के नाम से जाना और पहचाना जाता है यह हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है यह पवित्र चारधाम केदारनाथ, बद्रीनाथ ,गंगोत्री, यमुनोत्री  यहां पर स्थित है उत्तर भारत का यह पहाड़ी राज्य गंगा व यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उदगम स्थल है इसके साथ ही इस राज्य में खूबसूरत फूलों की घाटी, हिल स्टेशन,झीलों और 12 नेशनल पार्क हैं यह सभी उत्तराखंड पर्यटन में चार चांद लगाते हैं हिंदू धर्म के अनुसार यह माना जाता है की चारधाम की यात्रा करना अत्यंत जरूरी है मनुष्य के जीवन में यात्राओं का बहुत गहरा आध्यात्मिक महत्व है जहां चार धाम है बद्रीनाथ, द्वारिकाधीश, जगन्नाथ और रामेश्वरम, उत्तराखंड में जब बद्रीनाथ धाम की यात्रा करते हैं तो यहां स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ की यात्रा के बगैर तीर्थ यात्रा को पूरा नहीं माना जाता है। उत्तराखंड के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो विश्व प्रसिद्ध है और इन्हीं धार्मिक स्थलों के कारण उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। 

1 – जागेश्वर मंदिर:-

100 से ज्यादा प्राचीन मंदिरों का धाम है उत्तराखंड (Devbhumi UK) का यह प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर, मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध जागेश्वर भारत के उत्तराखंड  राज्य का एक खूबसूरत नगर जो अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है या धार्मिक स्थल 100 से भी ज्यादा प्राचीन मंदिरों का घर है और इस कारण इसे जागेश्वर घाटी मंदिर या जागेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है यहां एक ऐसा अद्भुत स्थल है जहां सातवीं से लेकर 12 वीं शताब्दी आकर्षक वास्तुकला से निर्मित मंदिर देखने को मिलते हैं यहां के मंदिर भगवान विष्णु शिव और मां दुर्गा को समर्पित है यह स्थल कई मंदिरों का संग्रह जिसमें दांडेश्वर मंदिर चंडी का मंदिर कुबेर का मंदिर मृत्युंजय मंदिर नंदा देवी नवग्रह मंदिर और सूर्य मंदिर शामिल हैं । 

2 – हरिद्वार:- 

हरिद्वार वह पवित्र स्थल है किसी स्वर्ग का द्वार माना जाता है उत्तराखंड (Devbhumi UK) राज्य में स्थित हरिद्वार हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार वह स्थान है जहां अमृत की कुछ बूंदें तब गिर गई थी जब धनवंतरी उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रही थी तब यह मान्यता है कि जिन चार स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थी वह चार स्थान उज्जैन हरिद्वार नासिक और प्रयाग हैं इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से हर बार महाकुंभ का आयोजन किया जाता है हरिद्वार से तात्पर्य है हरि का द्वार भारत का वह प्राचीन भारतीय स्थल है क्या गंगोत्री से निकलकर गंगा की धाराएं भूमि के मैदानी क्षेत्रों को छूती हैं हिंदू मान्यतायों के अनुसार महादेव की जटाओं से निकलकर माँ गंगा सबसे पहले इस ही स्थान पर अवतरित हुयी थी प्राचीन काल में इस स्थान को कपिलमुनि के नाम पर कपिला भी कहा जाता था। ऐसा कहा जाता था कि यहाँ कपिल मुनि का तपोवन हुआ करता था इस स्थान से जुड़ी प्रचलित पोराणिक कथा है भगीरथ की जो सूर्यावंशी राजा सगर के प्रपौत्र थे सतयुग में घोर तपस्या करके वो गंगा जी को अपने 60,000 पूर्वजों के उद्धार और कपिल ऋषि के श्राप से मुक्त करने के लिए पृथ्वी पर लाये थे इसलिए गंगा जी का एक naam भागीरथी भी है हरिद्वार का सबसे पवित्र स्थल है हरकी पौड़ी, वर्तमान हरकी पौड़ी ब्रह्मकुंड के बीचों – बीच स्थित है हरिद्वार में कुछ और भी स्थान है जहां पर आप घूम सकते हैं जैसे दक्ष महादेव मंदिर, मनसा देवी मंदिर ,चंडी मंदिर, माया देवी मंदिर, गौरी शंकर महादेव मंदिर, बिल्केश्वर महादेव मंदिर, गौरीकुंड, सप्त सरोवर शांतिकुंज, दिव्यकल्प वृक्ष वन।

उखीमठ:-

गुप्तकाशी गोपेश्वर सड़क मार्ग पर स्थित उखीमठ रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से 41 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह खूबसूरत धार्मिक स्थल 1317 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सबसे मुख्य बात यह है कि सर्दियों के महीने में  यह मंदिर  केदारनाथ और मध्य महेश्वर मंदिर की मूर्तियों का घर होता है नवंबर से लेकर मई के महीने तक भगवान केदारनाथ की पूजा यहीं की जाती है जबकि भगवान ओमकारेश्वर की पूजा उखीमठ में पूरे साल की जाती है उखीमठ और ओमकारेश्वर पीठ केदारनाथ मंदिर के रावल व प्रधान पुजारी की सीट होती है मान्यताओं के अनुसार उखीमठ का नाम बाणासुर की पुत्री उषा के नाम पर रखा गया था बाणासुर की पुत्री उषा की शादी भगवान श्री कृष्ण के पोते अनिरुद्ध से उखीमठ में ही हुई थी दूसरा केदारनाथ कहे जाने वाले मध्यमहेश्वर तीसरा केदार कहे जाने वाले तुंगनाथ व ताजे पानी की झील देवरिया ताल ऐसे स्थल है जिनके लिए आप उखीमठ घूमने जा सकते हैं। 

पांडुकेश्वर:-

उत्तराखंड (Devbhumi UK) में जोशीमठ और बद्रीनाथ के बीच बसा है पांडुकेश्वर शहर में दो महत्वपूर्ण मंदिर हैं योग ध्यान बद्री मंदिर और भगवान वासुदेव मंदिर, योग ध्यान बद्री मंदिर अलकनंदा नदी के गोविंद घाट के किनारे पर करीबन समुद्र तल से 1920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस मंदिर का प्रसिद्ध नाम पवित्र सप्तबद्री है इस मंदिर का एक और प्रसिद्ध नाम योग नारायण मंदिर है । 

श्री त्रियुगीनारायण मंदिर:-

उत्तराखंड (Devbhumi UK) के रुद्रप्रयाग जिले में एक छोटा सा गांव है त्रियुगीनारायण यहां गांव लगभग 2000 फीट की ऊंचाई पर है इसी गांव में स्थित है त्रियुगीनारायण मंदिर यहां एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है यहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।

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बद्रीनाथ:-

देवताओं की धरती देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में है विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम, इस पवित्र नगरी में है भगवान विष्णु के बद्रीनारायण फेसबुक का मंदिर, बद्रीनाथ धाम की यात्रा चार धाम और छोटा चार धाम दोनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

केदारनाथ:-

देश में वैसे तो भगवान शिव के अनगिनत मंदिर हैं  लेकिन उनके 12 ज्योतिर्लिंगों की बात ही कुछ अलग है कहते हैं कि भगवान शिव के इन ज्योतिर्लिंगों का स्मरण  और दर्शन मात्र से व्यक्ति के समस्त पाप मिट जाते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ऐसा भी शिव धाम है जो 400 सालों से बर्फ के नीचे दबा था ये अद्भुत रमणिया धाम है केदारनाथ,  क्या स्थित केदारनाथ का शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उत्तराखंड के चार धाम और पंचकेदार में गिना जाता है सर्दियों में केदारनाथ धाम 6 महीने बंद रहता है और इन 6 महीनों में भगवान शिव उखीमठ में निवास करते हैं शिव पुराण के अनुसार अगर मनुष्य बद्री वन की यात्रा करके नर व नारायण और केदारेश्वर शिव के दर्शन करता है तू से मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुंगनाथ रुद्रनाथ मद्महेश्वर व कल्पेश्वर चार स्थानों सहित केदारनाथ पंच केदार कहा जाता है। केदारनाथ मंदिर के साथ यहां वासुकीताल, गांधी सरोवर, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण अगस्तमुनि मंदिर, देवरिया जैसे स्थान है जहां आप घूमने जा सकते हैं। 

अल्मोड़ा:-

उत्तराखंड राज्य का अल्मोड़ा नगर अपने धार्मिक ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है स्कंदपुराण के मानस खंड में कहा गया है कोशिका और शाल्मली नदी के बीच पावन पर्वत स्थल है यह अल्मोड़ा नगर का पर्वत है मान्यता है कि इस पर्वत पर विष्णु भगवान का निवास है कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि विष्णु का कुरमा अवतार इसी पर्वत पर हुआ था।

 फूलों की घाटी:-

उत्तराखंड के सीमांत चमोली जनपद के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित है फूलों की घाटी कुदरत का बनाया गया बेजोड़ नमूना है।

ऋषिकेश :-

ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य में देहरादून जिले का विश्व प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है यह स्थान गढ़वाल हिमालय का प्रवेश द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश हिमालय का प्रमुख प्रवेश द्वार है जहां पहुंचकर गंगा पर्वत श्रृंखलाओं को पीछे की ओर छोड़कर समतल धरातल की ओर आगे बढ़ जाती है।

माणा गांव:-

माणा गांव उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित  भारत का अंतिम गांव है इस गांव की सांस्कृतिक विरासत बहुत ही महत्वपूर्ण है साथ ही यह अपनी अनूठी परंपराओं के लिए भी बहुत मशहूर है यहां रंडप्पा जनजाति के लोग निवास करते हैं  इस गांव के आस – पास कई दर्शनीय स्थल है जैसे – व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मंदिर, भीमपुल, वसुधारा आदि मुख्य है

देवप्रयाग :-

देवप्रयाग उत्तराखंड राज्य में स्थित एक नगर एवं एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है यह भागीरथी व अलकनंदा नदियों के संगम स्थल पर स्थित है इसी संगम स्थल की बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है यहां रघुनाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर है संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भांति ही इसका भी नामकरण किया गया है।

पाताल भुवनेश्वर:-

हमारे देश के धार्मिक  इतिहास से जुड़ा एक सदियों पुराना रहस्य समाया है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पाताल भुवनेश्वर में जो गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर है यह स्थान अपनी गुफा मंदिर के लिए  प्रसिद्ध है जिसे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के नाम से जाना जाता है इसका उल्लेख स्कंद पुराण में भी किया गया है मान्यता के अनुसार इस गुफा में 33 करोड़ देवी – देवताओं का वास माना जाता है। 

हेमकुंड साहिब:-

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है सिख समुदाय का रहस्यों से भरा तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिबयह हिमालय से 4632 मीटर की ऊंचाई पर एक बर्फीली झील व हिमालय की सात पहाड़ियों के बीच में स्थित है  इस स्थान का उल्लेखसिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने अपनी आत्मकथा में किया था।     इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है।

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