Jaunpur Uttarakhand In Hindi – जौनपुर उत्तराखंड PDF Download का लिंक सबसे नीचे दिया है–
जौनपुर क्षेत्र का परिचय
जौनपुर क्षेत्र जिला टिहरी गढ़वाल के अंतर्गत आता है यहां का ब्लॉक थत्युड तहसील धनोल्टी है यह पहाड़ी क्षेत्र पर बसा हुआ है यह जौनपुर (Jaunpur Uttarakhand) क्षेत्र दो क्षेत्रों में बटां हुआ है।
1 – प्रथम जौनपुर
2 – द्वितीय जौनपुर
जौनपुर क्षेत्र की संस्कृति, नियम, रीति –
रिवाज क्रियाकलाप इत्यादि की तुलना में यह सभी समाजों से भिन्न है। जौनपुर क्षेत्र के व्यक्ति मुख्य रूप से कृषि तथा पशुपालन करते हैं तथा कुछ लोग मजदूरी व व्यापार भी करते हैं।
जौनपुर क्षेत्र के अधिकांश महिलाएं व पुरुष अशिक्षित हैं परंतु वर्तमान समय की सभ्य समाज के संपर्क में आने के कारण यहां के व्यक्ति अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
वर्तमान समय में यहां के पुरुष पैंट – शर्ट, कुर्ता पजामा, धोती पहनते हैं जबकि स्त्रियां ऊपर से कुर्ता नीचे घाघरा तथा सिर पर दाडी पहनती है।
जौनपुर क्षेत्र में शौच व स्नान भी आज भी खुले में होता है शौचालय व स्नानघर ना होने के कारण खुले स्थानों का प्रयोग किया जाता है।
भौगोलिक परिचय,स्थिति:-
जौनपुर क्षेत्र जिला टिहरी धनोल्टी के अंतर्गत आता है यह एक पहाड़ी क्षेत्र है इसमें कई गांव आते हैं यह क्षेत्र नैनबाग से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर पंतवाड़ी तक पक्की सड़क है पंतवाड़ी से ऊपर 8 किलोमीटर पर नागथा/ नाग देवता का मंदिर है।
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गर्मियों में यहां का मौसम अधिक गर्म नहीं होता है बल्कि ऊंचाई पर होने के कारण यहां ठंड अधिक होती है यह क्षेत्र छोटे गांव से भरा हुआ है।
जलवायु:-
जगह कोई भी हो चाहे पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी क्षेत्र का वातावरण मौसम के आधार पर परिवर्तित होता रहता है इस क्षेत्र में शीत ऋतु अधिक लंबी होती है।
यहां पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण शीत लहर का प्रकोप अधिक होता है बरसात तक या जाड़ों में तापमान बहुत अधिक घट जाता है जिसके कारण यहां पर बहुत ठंड होती है शीत ऋतु में हिमपात भी हो जाता है और कोहरा छाया रहता है।
वर्षा एवं तापमान:-
इस क्षेत्र में वर्षा समय से तथा सामान्य रूप से पड़ती है जो कि किसी के लिए पूर्ण रूप से पर्याप्त होती है यदि वर्षा समय से ना हो तो कृषि नहर के जल से पूर्ण होती है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां की भूमि नम है, कृषि का उत्पादन पर्याप्त वर्षा तथा तापमान ठीक होने के कारण अच्छा होता है।
जीव जंतु एवं वनस्पति:-
यहां पर अनेक प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं कुछ जीव – जंतु पशुपालन के काम में आते हैं जैसे – गाय, भैंस, घोड़े, खच्चर, भेड़ आदि तथा कुछ जीव जंतुओं को पाला जाता है जैसे – कुत्ता, बिल्ली जंगली जानवरों में बाघ, शेर, हिरन, बारहसिंघा, भालू आदि जंतु है।
यह कृषि प्रधान क्षेत्र है इसलिए वनस्पति के अर्थ में भी यह कृषि प्रधान क्षेत्र है तथा चारों तरफ से वृक्षों से घिरा हुआ है। वृक्षों में मुख्य रूप से चीड़, देवदार, बांस, बुरांस तथा काफल आदि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां पर कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं जिसमें मुख्य फसलें धान, गेहूं, मंडवा, झंगोरा, मक्का आदि है।
यहां मक्का बहुत अधिक उगाया जाता है जब मक्के की फसल तैयार हो जाती है तब यहां के लोग मक्के को पीसकर आटे के रूप में प्रयोग करते हैं। इस क्षेत्र में चावल की विभिन्न किस्में उत्पन्न होती हैं जो काफी अधिक मात्रा में उत्पन्न होती है इनका निर्यात आसपास के क्षेत्रों में होता है।
सब्जियों में यहां सभी तरह की सब्जियां लगाई जाती हैं जैसे – आलू, प्याज, मटर, मूली, गाजर, सेम, सीताफल आदिनदिया व नाले:- जौनपुर क्षेत्र में अनेक नाले व गदेरे हैं यह गांव के बीचों-बीच से आते हैं यह गांव की खेती बाड़ी मैं सिंचाई के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं इन नालों से घराट भी चलते हैं।
यह पानी घने जंगलों से प्राकृतिक स्रोत के रूप में निकलते हैं विभिन्न क्षेत्रों में बारिश नहीं होती है तो यह नाले सिंचाई के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं इन्हीं नालों से घराट आदि चलते हैं।
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