एक बार की बात है, एक जंगल में गोमाया नाम का एक सियार रहता था। एक दिन उसे बहुत भूख लगी और वह भोजन की तलाश में भटक रहा था। घूमते-घूमते वह एक युद्ध के मैदान में आ गया। THE JACKAL AND THE DRUM

वहाँ उसने देखा कि एक पेड़ के नीचे एक बड़ा ढोल पड़ा हुआ है। जब हवा चली, तो पेड़ की जड़ में उगी एक कोमल शाखा ने ढोल पीटने की आवाज पैदा की।

सियार ने चारों तरफ से ढोल की जांच की और फिर अपने सामने के पंजे से ढोल पीट दिया। ढोल ने आवाज दी। अब सियार ने सोचा कि ड्रम के अंदर कोई और छोटा जानवर हो सकता है और यह उसके लिए बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाएगा। लेकिन उन्होंने ड्रम के शीर्ष को फाड़ने के लिए बहुत कठिन पाया।

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सियार ने एक योजना के बारे में सोचा और अपने सामने के दोनों पंजों से ढोल पीटने लगा। ढोल की आवाज से पूरा जंगल भर गया। ढोल की आवाज की ओर आकर्षित हुआ एक तेंदुआ उसके पास आ गया। THE JACKAL AND THE DRUM

सियार ने तेंदुए से कहा, “महाराज, ड्रम के अंदर कोई जानवर छिपा है। चूंकि आपके पास तेज पंजे और मजबूत दांत हैं, आप ड्रम के शीर्ष को फाड़ सकते हैं और ड्रम के अंदर अपने शिकार को पकड़ सकते हैं।

तेंदुआ खुद भूखा था इसलिए उसने अपने भारी पंजों से ढोल की चोटी पर प्रहार किया। ड्रम एक आवाज के साथ फट गया, लेकिन अंदर कोई जानवर नहीं था। ड्रम खाली था। THE JACKAL AND THE DRUM

खाली ढोल देख तेंदुआ बहुत क्रोधित हुआ और उसने सियार से कहा, “तुमने मेरा समय बर्बाद किया है। ड्रम के अंदर खाना नहीं है। इसलिए मैं तुम्हें मारूंगा और खाऊंगा।”

तेंदुआ अपना पेट भरने के लिए सियार पर झपटा और उसे मार कर खा गया।

THE JACKAL AND THE DRUM सियार और ढोल