Tribes of Uttarakhand उत्तराखंड की जनजातियाँ PDF Download का लिंक सबसे नीचे दिया है–
थारू जनजाति (tharu tribe) :–
1 – थारू जनजाति मुख्यत: उधम सिंह नगर में निवास ( खटीमा, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता, आदि)
2 – थारू जनजाति कुमाऊँ का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है
3 – थारू जनजाति की उत्पत्ति किरात वंश से मानी जाती है
भाषा व वेशभूषा:-
1 – थारू जनजाति की अपनी कोई विशिष्ट भाषा नहीं है।
2 – अवधि नेपाली व मिश्रित पहाड़ी भाषा बोलते हैं।
3 – पुरुष धोती लंगोटी कुर्ता व टोपी पहनते हैं।
4 – थारू जनजाति की महिलाएं लहंगा चोली कुर्ता व आभूषण धारण करती हैं।
5 – थारू जनजाति में पुरुषों व महिलाओं में टैटू लोकप्रिय है
आवास व भोजन:-
1 – यह अपने आवास खेतों के निकट बनाते हैं।
2 – थारू जनजाति में प्रत्येक घर के सामने मंदिर व चित्रकारी प्रसिद्ध है।
3 – इनका लोकप्रिय भोजन चावल वह मछली है।
4 – यहां चावल निर्मित मदिरा ‘जाड़’ का सेवन करते हैं।
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सामाजिक व्यवस्था:-
1 – थारू जनजाति में मातृसत्तात्मक व पितृसत्तात्मक व्यवस्था है।
2 – यह लोग हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं।
3 – यहां अनेक गोत्र में बंटे हैं जिसमें बड़वायक उच्च माना जाता है गोत्र को कुरी भी कहा जाता है
4 – इनमें विवाह हेतु चार रस्में है
(क) अपना पराया (ख) बात खट्टी (ग) विवाह (घ) चाला
5 – विधवा विवाह प्रचलित है। और इस पर ‘लटभरवा’ भोज आयोजित किया जाता है।
त्यौहार व उत्सव :-
1 – यह सभी हिंदू त्यौहारों का अनुसरण करते हैं।
2 – बजहर प्रमुख त्यौहार है।
3 – थारू जनजाति दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाती है।
4 – होली में सभी स्त्री व पुरुष खिचड़ी नृत्य करते हैं।
अर्थव्यवस्था:-
1 – पशुपालन, कृषि व सेवा क्षेत्र।
2 – धान की खेती के साथ मुख्यतः कुटीर उद्योग।
बोक्सा जनजाति (buksa tribe) :-
1 – यूएस नगर- बाजपुर, गदरपुर, काशीपुर
2 – नैनीताल – रामनगर
3 – पौड़ी – दुगड्डा
4 – देहरादून – डोईवाला, विकासननग, सहसपुर
5 – उत्तराखंड के लगभग 173 गांवों में थारू जनजाति का निवास स्थान है।
6 – नैनीताल व यूएस नगर के बुक्सा वाले क्षेत्रों को बुकसाड़ कहा जाता है।
7 – यहां जनजाति स्वयं को पंवार राजपूत कहती है।
8 – 16 वीं शताब्दी में सर्वप्रथम यह बनबसा (चंपावत) में बसे थे।
भाषा व परिधान:-
1 – इनकी स्वयं की कोई विशिष्ट भाषा नहीं है।
2 – क्षेत्रानुसार भावरी, कुम्मयां, रच भैंसी बोलियां है।
3 – इनके परिधान सामान्य है कोई प्रमुख परिधान नहीं है
सामाजिक व्यवस्था:-
1 – बुक्सा जनजाति 5 गोत्रों ( उपजातियों) में विभक्त है। यदुवंशी, पंवार, राजवंशी, परतजा व तुनवार
2 – बुक्सा में समगोत्र में विवाह निषेध है।
3 – इनका समाज पितृसत्तात्मक है।
4 – बुक्सा जनजाति में महिलाओं की स्थिति बेहतर है।
5 – आईने अकबरी में बुकसाड़ क्षेत्र का वर्णन मिलता है।
6 – महर गुस्सा भी इनके समाज का हिस्सा है।
धर्म व संस्कृति:-
1 – हिंदू धर्म का पूर्ण प्रभाव
2 – बुक्सा जनजाति में चामुंडा देवी इनकी प्रमुख देवी है।
3 – स्थानीय देवता ज्वाल्पादेवी वाह हुल्कादेवी प्रमुख है।
4 – बुक्सा जनजाति में कल्पित आत्मा के रूप में बुज्जा की पूजा की जाती है।
त्योहार व मेले:-
चैती, नौबी, होली, दीपावली, होगड़, ढल्या, गोटरे व मोरे इनके प्रमुख त्यौहार हैं।
अर्थव्यवस्था:-
1 – काष्ठकर्म
2 – पशुपालन व दस्तकारी
3 – जड़ी-बूटी संग्रह- विक्रय
4 – कृषि व दैनिक श्रमयह सभी इनकी अर्थव्यवस्था का मूल आधार है इनकी अर्थव्यवस्था इन सभी पर निर्भर करती है।
राजनीतिक व्यवस्था:-
1 – बिरादरी पंचायत संस्था
2 – वर्तमान में पंचायती राज
3 – नैनीताल, यूएस नगर में शिक्षा परिषद की स्थापना
बुक्सा जनजाति के कुछ अन्य तथ्य
1 – तांत्रिक को भरारे शब्द से संबोधित किया जाता है।
2 – यह जनजाति जादू – टोने में अधिक विश्वास करती है।
3 – यह लोग मदिरा, चावल, मछली की बेहद शौकीन होते हैं।
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